मनोरंजक कथाएँ >> अनोखी मित्रता अनोखी मित्रतादिनेश चमोला
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नन्दन वन में जानवरों का बहुत बड़ा समूह रहता था। सभी का आपस में प्रेम का उठना-बैठना था। सबके सुख-दुख की देखभाल की जाती।
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
परोपकारी कालू
नन्दन वन में जानवरों का बहुत बड़ा समूह रहता था। सभी का आपस में प्रेम का
उठना-बैठना था। सबके सुख-दुख की देखभाल की जाती। ऊँच-नीच का कोई भेदभाव न
होता। हर तीसरे वर्ष में सभी की योग्यता के अनुसार चुनाव किया जाता। इसलिए
पशुओं के कल्याण के पशु निकेतन नामक संस्था भी
स्थापित की गई
जिससे कई प्रकार के अपंग पशुओं का उपचार किया जाता।
कालू शेर इसके अध्यक्ष(राजा) थे, पिंकी लोमड़ी सचिव तथा रीनू बन्दर कोषाध्क्ष थे। जब कभी विशेष बैठक होती तो नीतू मोरनी मंच पर संचालन किया करती थी।
कालू शेर बहुत बूढ़े हो गये थे। उनके राज में कभी कोई जीव दुखी नहीं रहता था। सभी के आवासों पर जाकर सुख-दुःख तथा खानपान की पूछताछ की जाती एक दिन अध्यक्ष कालू ने सभी वरिष्ठ अधिकारियों की सभा बुलाई और नम्रता से कहा।
‘‘सभासदो ! अब मैं ‘पशु निकेतन’ के अध्यक्ष पद का कार्य करने के लिए असमर्थ हूँ क्योंकि अब शरीर से बूढा हो गया हूँ। दाँतों ने जवाब दे दिया है आओ हम सब अब योग्य शासक का चुनाव करें।’’ ‘‘मैं समस्त सभा की ओर से पिंकी लोमडी का नाम अध्यक्ष पद हेतु प्रस्तुत करता हूँ।’’ रीनू बन्दर ने कहा।
कालू शेर इसके अध्यक्ष(राजा) थे, पिंकी लोमड़ी सचिव तथा रीनू बन्दर कोषाध्क्ष थे। जब कभी विशेष बैठक होती तो नीतू मोरनी मंच पर संचालन किया करती थी।
कालू शेर बहुत बूढ़े हो गये थे। उनके राज में कभी कोई जीव दुखी नहीं रहता था। सभी के आवासों पर जाकर सुख-दुःख तथा खानपान की पूछताछ की जाती एक दिन अध्यक्ष कालू ने सभी वरिष्ठ अधिकारियों की सभा बुलाई और नम्रता से कहा।
‘‘सभासदो ! अब मैं ‘पशु निकेतन’ के अध्यक्ष पद का कार्य करने के लिए असमर्थ हूँ क्योंकि अब शरीर से बूढा हो गया हूँ। दाँतों ने जवाब दे दिया है आओ हम सब अब योग्य शासक का चुनाव करें।’’ ‘‘मैं समस्त सभा की ओर से पिंकी लोमडी का नाम अध्यक्ष पद हेतु प्रस्तुत करता हूँ।’’ रीनू बन्दर ने कहा।
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